सड़कछाप - 4

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अमरेश और उसकी माँ सरोजा अब लोकपाल तिवारी के घर आकर रहने लगे थे। सरोजा ने अपने हिस्से की खेती बटाई दे दी थी। सरोजा हर महीने-दो महीने पर अपने ससुराल चली जाती और वहां की हाल-खबर ले आती। अमरेश फिर से अपने नाना के गांव इमलिया में प्राइवेट स्कूल में पढ़ने लगा। कुछ ही महीनों बाद उसकी दोनों मौसियों ने स्थायी डेरा जमा लिया अपने पति के साथ। सरोजा की दोनों बहनें प्रेमा और किरन पिता के घर डट गयीं। प्रेमा के पति का भी प्रकाश था और किरन के पति का नाम राजकुमार था। दोनों ही कहीं ना कहीं रोजी -रोटी के लिये हाथ-पांव मार रहे थे। लेकिन अमरेश के स्थायी रूप से इमिलिया रहने पर और लोकपाल तिवारी की अमरेश के प्रति बढ़ती सहानभूति और आसक्ति से दोनों दामाद बहुत आशंकित थे।