मन कस्तूरी रे - 3

(17)
  • 7.2k
  • 2
  • 3.4k

इन दिनों एक कोर्स के सिलसिले में स्वस्ति को कुछ किताबों के लिए रोज मंडी हाउस जाना पड़ रहा था! उस लगता है, वहां से लौटते हुए मेट्रो से अधिक सुविधाजनक कोई और वाहन हो ही नहीं सकता! मंडी हाउस से चली मेट्रो जब राजीव चौक पर रुकी तो स्वस्ति मेट्रो से उतर गई। यहाँ से दूसरी मेट्रो लेनी है स्वस्ति को। ओह माय गॉड!!! राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर कितनी भीड़ थी आज। वही रोज का हाल है। हमेशा की तरह पूरा मेट्रो स्टेशन भरा पड़ा है। जहाँ देखो लोग ही लोग.... देखो तो तिल रखने की भी जगह नहीं। कितनी भीड़ और बेशुमार भीड़। मानो सारा संसार इस मेट्रो स्टेशन में समाने को तैयार है।