Mann Kasturi re book and story is written by Anju Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mann Kasturi re is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मन कस्तूरी रे - Novels
by Anju Sharma
in
Hindi Fiction Stories
सामने खुली किताब के खुले पन्ने को पलटते हुए स्वस्ति अनायास ही रुक गई! उसने एक पल ठहरकर पढ़ना शुरू किया!
“प्रेम के अलावा प्रेम की कोई और इच्छा नहीं होती। पर अगर तुम प्रेम करो और तुमसे इच्छा किये बिना न रहा जाए तो यही इच्छा करो कि तुम पिघल जाओ प्रेम के रस में, और प्रेम के इस पवित्र झरने में बहने लगो।” – खलील ज़िब्रान
सामने खुली किताब के खुले पन्ने को पलटते हुए स्वस्ति अनायास ही रुक गई! उसने एक पल ठहरकर पढ़ना शुरू किया!
“प्रेम के अलावा प्रेम की कोई और इच्छा नहीं होती। पर अगर तुम प्रेम करो और तुमसे इच्छा किये ...Read Moreन रहा जाए तो यही इच्छा करो कि तुम पिघल जाओ प्रेम के रस में, और प्रेम के इस पवित्र झरने में बहने लगो।” – खलील ज़िब्रान
अरे, मूवी शुरू होने में थोड़ी सी देर है और अभी तक तुम यहाँ बैठी हो। चलो भी, मूवी शुरू हो जाएगी, जानेमन!!!
कार्तिक ने एकाएक पीछे से आकर उसे बाँहों में भरते हुए ज़ोर से हिला दिया। अपने ...Read Moreख्यालों में डूबी जाने कब से ऐसे ही बैठी थी, एकाएक चौंक गई थी स्वस्ति। उफ्फ्फ ये कार्तिक भी न!!! ऐसा ही है वह, बेसब्र और आकस्मिक।
इन दिनों एक कोर्स के सिलसिले में स्वस्ति को कुछ किताबों के लिए रोज मंडी हाउस जाना पड़ रहा था! उस लगता है, वहां से लौटते हुए मेट्रो से अधिक सुविधाजनक कोई और वाहन हो ही नहीं सकता! मंडी ...Read Moreसे चली मेट्रो जब राजीव चौक पर रुकी तो स्वस्ति मेट्रो से उतर गई। यहाँ से दूसरी मेट्रो लेनी है स्वस्ति को। ओह माय गॉड!!! राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर कितनी भीड़ थी आज। वही रोज का हाल है। हमेशा की तरह पूरा मेट्रो स्टेशन भरा पड़ा है। जहाँ देखो लोग ही लोग.... देखो तो तिल रखने की भी जगह नहीं। कितनी भीड़ और बेशुमार भीड़। मानो सारा संसार इस मेट्रो स्टेशन में समाने को तैयार है।
रात भर बतियाई थीं दोनों! माँ जानती हैं किसी को आज सुबह जागने की जल्दी नहीं! उन्होंने कमला से धीरे काम करने को कहा ताकि उन बातूनी सहेलियों की नींद में कोई खलल न पड़े! सुबह माँ को एक ...Read Moreजरूरी कार्यक्रम में जाना था। जाते हुए दोनों के लिये नाश्ता बना गई थीं वे ताकि दोनों को कोई परेशानी न हो। माँ आखिर माँ है। वे घर ने रहें या बाहर दोनों के स्वाद और पसंद का ख्याल रखना उनकी आदत में शामिल है! वे जानती हैं रोशेल को उनके हाथ के बने आलू के परांठे और दही का नाश्ता कितना पसंद है!
“उसे आईलाइनर पसंद था, मुझे काजल।
वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी, और मैं अदरक की चाय पे।
उसे नाइट क्लब पसंद थे, मुझे रात की शांत सड़कें।
शांत लोग मरे हुए लगते थे उसे, मुझे शांत रहकर उसे सुनना ...Read Moreथा।
लेखक बोरिंग लगते थे उसे, पर मुझे मिनटों देखा करती जब मैं लिखता।
वो न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर, इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार में शॉपिंग के सपने देखती थी, मैं असम के चाय के बागानों में खोना चाहता था। मसूरी के लाल डिब्बे में बैठकर सूरज डूबना देखना चाहता था।