सभी धर्म के ईश्वर को पत्र

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परम् आदरणीय प्रभु,आप तो जानते ही है अब इस युग में आपका सर्वस्व धीरे-धीरे नष्ट होता जा रहा है और हो भी क्यों नहीं, जब इंसान स्वयं को खुदा से बेहतर समझने लगा हो। आपकी जगह तो वैसे भी अलग-अलग धर्म के ठेकेदारों ने ले ली है तो अब आपकी किसी को जरूरत महसूस होती ही नहीं। अब वो धर्म के ठेकेदार ही खुदा बन गये हैं अधिकांश के लिए। इस कलयुग में अब कोई आपको कुछ समझता ही नहीं और ना आपका डर है, ना ही आपके रुष्ट हो जाने का किसी को भय रहा। इस घोर कलयुग में