कूड़ा

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अयांश की मेज़ साफ़ करते हुए उसकी डायरी उठाई तो बीच में फँसा पेन खिसक कर नीचे गिर गया। उठा कर ऊपर रखा तो जैसे करंट दौड़ गया कोई...उँगलियों से होता हुआ पूरे शरीर में...। शायद मेज़ का कोना टकरा गया था कोहनी से...इस लिए झनझना गया हो इस तरह...। सब झाड़-पोंछ कर करीने से लगा कर मैंने पूरी मेज़ का सरसरी निगाहों से जायजा लिया और फिर एक चैन की साँस ली...। अयांश को हर चीज़ सही जगह पर, करीने से चाहिए...।