और,, सिद्धार्थ बैरागी हो गया - 4

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सुन्दरी सम्मोहित सी अपलक स्वामी जी को निहार रही थी, उसे क्या हो रहा था ? स्वामी जी को देख कर मन और भी व्याकुल क्यों हो रहा था ? वह तो यहाँ पर मन की शान्ति के लिए आई थी पर यहाँ आ कर तो उसकी पीड़ा और भी बढ़ गई थी हे ईश्वर ! ये मुझे क्या हो रहा है ? स्वामी जी बैरागी हैं और मै भी तो वैधव्य का जीवन जी रही हूँ फिर ये मुझे क्या हो रहा है ? स्वामी जी की मुखाकृति कुछ जानी पहचानी, देखी हुई-सी क्यूँ लग रही है वह उनके चेहर से अपनी नज़रें हटा लेती है कि कहीं स्वामी जी ने अपनी आँखे खोल ली तो वह उसके मनोभाव समझ ना जाएँ