अदृश्य हमसफर - 28

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चाय खत्म होते ही देविका ने ट्रे उठाकर उठाई और बिना कुछ कहे ही कमरे से चली गयी लेकिन दो पल बाद ही वापस आयी। देविका- जिज्जी, कैसे सब व्यवस्थित करोगे। आप मुझे बताइये न। ममता- देविका, मुझे 9 बजे हर हाल में घर से निकलना है। उससे पहले घरवालों से सुलझना बहुत भारी काम है। 5 बज गए है और समान भी पैक नही किया है अभी तक। मेरे तो हाथ पैर फूलने लगे हैं सच्ची। कैसे क्या करूँ?