असली आज़ादी वाली आज़ादी (भाग-८)

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भाग 7 से आगे- चौहान साहब चीख रहे थे और ऐसा चीख रहे थे जैसे आसमान को ही हिला के रख देंगे। पूरा गांव इकठ्ठा हो चुका था। सभी छोटे बड़े, ऊंचे नीचे और गांव के अन्य सम्माननीय और बिना सम्मान वाले लोग भी इकट्ठे हो चुके थे और ये सब सिर्फ देख रहे थे पर किसी की भी हिम्मत न थी चौहान साहब को चुप कराने की। सब यही सोंच रहे थे कि आखिर हुआ क्या है। नन्नू का परिवार भी घर के अंदर था पर आज वो डरा हुआ नही था। वो परिवार आज इसका सामना करना चाहता