Asali aazadi wali aazadi by devendra kushwaha | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels असली आज़ादी वाली आज़ादी - Novels Novels असली आज़ादी वाली आज़ादी - Novels by devendra kushwaha in Hindi Social Stories (16) 3.2k 6.7k 3 देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब हुई। आजादी बेशकीमती थी क्योंकि लाखों लोगों ने इसे पाने के लिए बिना कुछ सोंचे समझें अपनी जान न्योछावर कर दी। ...Read Moreके दीवानों का न कोई धर्म था न कोई जाति न कोई ऊंचा न कोई नीचा न कोई दलित और न कोई पिछड़ा, वो सभी सिर्फ हिंदुस्तानी थे। लगभग साढ़े तीन सौ साल की गुलामी के बाद मिली आज़ादी खूबसूरत और सुकून भारी होनी चाहिये। और शायद ऐसा होता भी यदि अपने देश के दो टुकड़े न हुए होते। दो Read Full Story Listen Download on Mobile New Episodes : Every Monday असली आज़ादी वाली आज़ादी 601 995 देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब हुई। आजादी बेशकीमती थी क्योंकि लाखों लोगों ने इसे पाने के लिए बिना कुछ सोंचे समझें अपनी जान न्योछावर कर दी। ...Read Moreके दीवानों का न कोई धर्म था न कोई जाति न कोई ऊंचा न कोई नीचा न कोई दलित और न कोई पिछड़ा, वो सभी सिर्फ हिंदुस्तानी थे। लगभग साढ़े तीन सौ साल की गुलामी के बाद मिली आज़ादी खूबसूरत और सुकून भारी होनी चाहिये। और शायद ऐसा होता भी यदि अपने देश के दो टुकड़े न हुए होते। दो Listen Read असली आज़ादी वाली आज़ादी - (भाग-2) 363 971 पिछले भाग से आगे--- युद्ध खत्म होते ही दोनों परिवार अपने अपने बच्चों का घर पर इंतजार करने लगें। युद्ध समाप्त होने के अगले दिन ही सुबहनन्नू अपने घर के आंगन में बैठे हुए अपनी भैस का सानी चारा ...Read Moreरहे थे। उनकी पत्नी और बड़ी बेटी पास में खाट पर बैठ कर धूप सेंक रहे थे। कानपुर में जनवरी का महीना बहुत ठंडा होता है। दिन भी देर से होता है और धूप सेंकने का एक अलग ही आनंद होता है। अचानक किसी ने बाहर दरवाज़ा खटखटाया और आनंद में खलल पड़ गया। नन्नू अपनी बेटी से बोले- बेटा Listen Read असली आज़ादी वाली आज़ादी (भाग-3) 307 655 भाग-2 से आगे की कहानी- (इस भाग में लिखी बातें किसी धर्म या समुदाय विशेष को ऊंचा या नीचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि समाज में फैली बुराइयों के पीछे का दर्द समझाना है। मैं अपने पाठकों से वादा ...Read Moreहूँ कि कहानी का अंत शानदार ही होगा) बेटे की अर्थी का बोझ सारी जिंदगी अब नन्नू के कंधों पर रहने वाला था। नन्नू सारा क्रिया कर्म करके अपने घर आ गया पर चूल्हा जलाने की हिम्मत किसी मे न हुई। अब तो घर में आये हुए कुछ मेहमान अपने घर वापिस जा चुके थे और कुछ ही लोग घर Listen Read असली आज़ादी वाली आज़ादी (भाग-4) 327 683 भाग 3 से आगे- मनोरमा ने सभी के सामने चौहान साहब को चुनौती तो दे डाली पर उसके आगे क्या करना है और कैसे करना है उसे कुछ नही पता था। आधे गांव वाले तो डर ही गए थे ...Read Moreअब तो चौहान या तो जान ले लेगा या तो मान ले लेगा। पीछे हटने में ही भलाई है। नन्नू के परिवार के लिए आगे का जीवन बिल्कुल भी आसान नही होने वाला था। अब दोनों बेटियों की फिक्र होने लगी थी और जिस तरह चौहान साहब का बेटा एक दरिंदे की तरह मनोरमा को देख रहा था। खतरा तो Listen Read असली आज़ादी वाली आज़ादी - (भाग-5) 540 894 भाग-4 से आगे- सभी गांव वाले चौहान साहब के घर पहुंचे और सभी ने चौहान साहब को बाहर बुलाया। एक नौकर बाहर आके बोला- मालिक तो दिल्ली गए है और छोटे मालिक भी साथ गए है कल रात ही, ...Read Moreदो दिन बाद ही मिलेंगे। सभी को हैरानी हुई कि अगर श्रीकांत चौहान साहब के साथ दिल्ली गया है तो मनोरमा के साथ ये दुष्कर्म किसने किया। सभी सोंचने लगे कि कहीं नन्नू ने ही तो चौहान साहब के ख़िलाफ़ कोई षड्यंत्र तो नहीं रच दिया। क्यूंकि चौहान साहब ने ही दो दिन पहले नन्नू की खिलाफत की थी। कहीं Read असली आज़ादी वाली आजादी - (भाग-6) 379 1.1k भाग -5 से आगे अगली सुबह मैं थोड़ी जल्दी घर से निकला। रात भर सो तो नही पाया था फिर भी सुबह अपने आप ही नींद जल्दी खुल गयी। सोंचा कि पहले अस्पताल में मनोरमा बिटिया को देख लूंगा ...Read Moreगांव जाके रोज़ाना का काम निपटा लूंगा। ये भी तो देखना है कि आज चौहान साहब के दिल्ली से वापिस आने पर कौन सी नई कहानी शुरू होती है। मैं थोड़ी गई देर में अस्पताल पहुंचा। वहाँ पहुंच कर मैं मनोरमा के कमरे की तरफ़ जाने लगा कि देखा पुलिस वाले उसी कमरे से बाहर निकल रहे है। मैंने मन Listen Read असली आज़ादी वाली आज़ादी - (भाग-7) 340 664 भाग -6 से आगे- मैंने शैलेन्द्र की उत्सुकता को देखते हुए ये तो समझ ही लिया कि शैलेन्द्र बिना पूरी कहानी जाने मानेगा नहीं और वैसे भी अपनी बहन के बारे में जानने का हक़ है उसे पर मैं ...Read Moreकुछ समय के लिए ये सब टालना चाहता था। हमारे पास उस समय एक सवाल और भी था कि शैलेन्द्र आखिर वापिस कैसे आया। अगर एक बार ये पता चल जाये तो फिर पूरी कहानी को एक सूत्र में पिरो कर समझ और समझाया जा सकता है। मैंने शैलेन्द्र को दो पल रुकने को कहा और सुलोचना को बुलाया। सुलोचना Listen Read असली आज़ादी वाली आज़ादी (भाग-८) 374 774 भाग 7 से आगे- चौहान साहब चीख रहे थे और ऐसा चीख रहे थे जैसे आसमान को ही हिला के रख देंगे। पूरा गांव इकठ्ठा हो चुका था। सभी छोटे बड़े, ऊंचे नीचे और गांव के अन्य सम्माननीय और ...Read Moreसम्मान वाले लोग भी इकट्ठे हो चुके थे और ये सब सिर्फ देख रहे थे पर किसी की भी हिम्मत न थी चौहान साहब को चुप कराने की। सब यही सोंच रहे थे कि आखिर हुआ क्या है। नन्नू का परिवार भी घर के अंदर था पर आज वो डरा हुआ नही था। वो परिवार आज इसका सामना करना चाहता Listen Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything devendra kushwaha Follow