पीताम्बरी - 4

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अचानक हँसने की आवाज से उसकी आँख खुल गई, वह चौंक कर सुनने लगी पुकारा उसने रूपा को पर रेडिओ की आवाज और उनके हँसने की आवाज में उसकी आवाज कहीं खो गई वह चुप हो फिर से लेट गई, अपनी बेबसी पर उसकी आँखें से कुछ बूँदे छलक गईं थोड़ी देर बाद आशुतोष कमरे में आए और बैठ कर उसका माथा सहलाते हुए बोले,