Pitambari book and story is written by Meena Pathak in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pitambari is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पीताम्बरी - Novels
by Meena Pathak
in
Hindi Moral Stories
घर में उत्सव जैसा माहौल था सभी के चेहरों पर उत्साह झलक रहा था बड़की चाची. रामपुर वाली चाची, पचरूखिया वाली चाची, सभी दोगहा में जा कर द्वार पर बैठे युवक को झाँक-झाँक देख कर निहाल हो रहीं थीं
“अरे ! पीतो के त भाग जाग गईल, एतना नीक लईका कहाँ मीलित ” सभी की जुबान पर यही वाक्य था
घर में उत्सव जैसा माहौल था सभी के चेहरों पर उत्साह झलक रहा था बड़की चाची. रामपुर वाली चाची, पचरूखिया वाली चाची, सभी दोगहा में जा कर द्वार पर बैठे युवक को झाँक-झाँक देख कर ...Read Moreहो रहीं थीं
“अरे ! पीतो के त भाग जाग गईल, एतना नीक लईका कहाँ मीलित ” सभी की जुबान पर यही वाक्य था
जेठ की तपती दुपहरी की गर्म लू शरीर को झुलसा रही थी, सूरज अपने यौवन के चरम पर आग उगल वसुधा को दहका रहा था, सड़क पर इक्का-दुक्का लोग ही आते जाते दिख रहे थे बाकी कभी-कभी जीप फर्राटे ...Read Moreहुयी निकल जाती थी ऐसे में गमछा सिर पर बाँधे रामनारायण ओझा सायकिल से चले जा रहे थे पसीने से तर–ब-तर, उन्हें लग रहा था कि ये रिश्ता गया हाथ से ! बुरे-बुरे ख्याल आ रहे थे मन में, वह किसी भी कीमत पर ये रिश्ता चाहते थे
उधर डोली आशुतोष के दरवाजे पहुँचते ही आशुतोष की माँ और बहनें जल्दी से बहू उतारने आयीं, डोली में पीतो बेहोश थी किसी तरह उसके मुँह पर पानी के छींटे मार कर परछावन कर उसे भीतर ला कर लिटा ...Read Moreगया था
शादी की खुशी क्या होती है कुछ भी महसूस ना कर पायी पीतो, बस यंत्रवत ससुराल के सभी रस्म निभाती गई
अचानक हँसने की आवाज से उसकी आँख खुल गई, वह चौंक कर सुनने लगी पुकारा उसने रूपा को पर रेडिओ की आवाज और उनके हँसने की आवाज में उसकी आवाज कहीं खो गई वह ...Read Moreहो फिर से लेट गई, अपनी बेबसी पर उसकी आँखें से कुछ बूँदे छलक गईं
थोड़ी देर बाद आशुतोष कमरे में आए और बैठ कर उसका माथा सहलाते हुए बोले,
आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह घर आ रहा है बाहर जीप रुकने की आवाज सुन कर पीतो बाहर की ओर दौड़ी ...Read Moreजीप से उतर कर उसकी तरफ़ बढ़ रहा था उसे वर्षों पहले वाले आशुतोष याद आ गए, बिल्कुल वैसी ही चाल, लम्बाई, रंग-रूप ! बिल्कुल अपने पिता पर गया था अंशुमन पीतो के मन में एक टीस उठती है, ह्रदय वेदना से कराह उठता है