ईर्ष्या ने पाप का भागी बना दिया (अंतिम भाग )

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उसने बताया के विवाह से पूर्व वो एक निर्धन परिवार से थी उनकी निर्धनता और दुर्भाग्य ने उनको श्रणी बना दिया था वो भी नगर के सबसे बड़े धूर्त पाखंडी का उस व्यक्ति ने इनकी सहायता के आड़ में इनके साथ बहुत बड़ा छल कपाट कर इनकी सम्पूर्ण सम्पत्ति चट कर ली ये दुष्ट कोई और नहीं उस सुंदरी का बूढ़ा पति ही था उसने सब कुछ लोटा देने का प्रस्ताव रखा बदले में सुंदरी के परिवार से उसका हाथ मांग लिया मगर सुंदरी के पिता ने अस्वीकार कर दिया परन्तु वो अधर्मी ना माना और सुंदरी को सपरिवार भांति भांति की यातनाए देने