मंझली दीदी - 8 - अंतिम भाग

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रात हेमांगिनी ने अपने पति को बुलाकर रुंधे गले से कहा, ‘आज तक तो मैंने तुमसे कभी कुछ नहीं मांगा, लेकिन आज इस बीमारी के समय एक भिक्षा मांगती हुं, दोगे?’ विपिन ने संदिग्ध स्वर में कहा, ‘क्या चाहती हो?’ ‘किशन को मुझे दे दो। वह बेचारा बहुत दुःखी है। उसके मां-बाप नहीं हैं। वह लोग उसे मार डालते हैं। यह मुझसे देखा नहीं जाता।’ विपिन ने कुछ मुस्कुराकर कहा, ‘तो आंखे मूंद लो। बस, सारा झगड़ा मिट जाएगा।’