Manjali Didi by Sarat Chandra Chattopadhyay

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मंझली दीदी by Sarat Chandra Chattopadhyay in Hindi Novels
किशन की मां चने-मुरमुचे भून-भूनकर और रात-दिन चिन्ता करके वहुत ही गरीबी में उसे चौदह वर्ष का करके मर गई। किशन के लिए गांव...
मंझली दीदी by Sarat Chandra Chattopadhyay in Hindi Novels
दोनों भाइयों ने पैतृक मकान आपस में बांट लिया था।
पास वाला दो मंजिला मकान मझबे भाई विपिन का है। छोटे भाई की बहुत दिन पहल...
मंझली दीदी by Sarat Chandra Chattopadhyay in Hindi Novels
संध्या के समय कादम्बिनी ने पूछा, ‘क्यों रे किशन, वहां क्या खा आया?’
किशन ने बहुत लज्जित भाव से सिर झुकाकर कहा, ‘पूड़ी।’...
मंझली दीदी by Sarat Chandra Chattopadhyay in Hindi Novels
हेमांगिनी को बीच-बीच में सर्दी के कारण बुखार हो जाता था और दो-तीन दिन रहकर आप-ही-आप ठीक हो जाता था। कुछ दिनों के बाद उसे...
मंझली दीदी by Sarat Chandra Chattopadhyay in Hindi Novels
दूसरे दिन सवेरे ही किशन चुपचाप हेमांगिनी के घर पहुंचकर उसके बिस्तर पर पैरों की ओर जाकर बैठ गया। हेमांगिनी ने अपने पैर थो...