सजायाफ्ता कौन

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'वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है.....'सुबह से गाने की पंक्तियाँ उसके जेहन में गूँज रहीं थीं। सिंधु परेशान थी क्योंकि दिल से दिल नहीं मिला था... जो हुआ था वह बहुत भयावह था। सब कहते हैं... 'होइहि सोइ जो राम रचि राखा.. को करि तर्क बढ़ावै साखा...' वह इसे स्मरण कर भी संतुष्ट नहीं हो पा रही थी। रामजी ने ये रचा होगा, उसका मन मानने को तैयार ही नहीं था। रामजी तो सबका भला करते हैं, फिर....? एक बहुत बड़ा प्रश्न मुँह बाए खड़ा था। कितनी मासूम सी लग रही थी वह युवती फोटो में... वह