मन का क्या करूँ

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मन का क्या करूँ अन्नदा पाटनी चौराहे पर लाल बत्ती हो गई । सारी गाड़ियाँ थम गई । ज़बर्दस्त ट्रैफ़िक था । मैंनेएसी बंद करवाया और खिड़की का शीशा उतार कर इधर-उधर नज़र दौड़ाने लगी । देखा सड़क के एकछोर से एक वृद्ध दम्पत्ति गाड़ियाँ रुकी देख सडक पार करने के लिए चल पड़ा । पत्नी की कमर झुकीहुई थी और पति का शरीर भी काफ़ी दुर्बल और शिथिल लग रहा था । दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ाहुआ था पर कौन किसको कितना सहारा दे रहा था यह उनकी डगमगाती चाल देख कर समझा जासकता था । ऐसा