महत्वाकांक्षा - 4 - अंतिम भाग

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महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (4) तभी प्रियंका ने अचानक अपने चेहरे का भाव बदलते हुए कहा - जिंदगी के मजे ऐसे नहीं होते हैं पंकज बाबू । इसके लिए पैसों की आवश्यकता होती है और आपकी जितनी सैलरी है उतने पैसे मैं केवल अपने कपड़ों पर ही खर्च कर देती हूं । उसकी बात सुन