Mahatvakansha book and story is written by Shashi Ranjan in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mahatvakansha is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
महत्वाकांक्षा - Novels
by Shashi Ranjan
in
Hindi Moral Stories
साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के जिस केबिन में मैं चढा, उसमें पहले से एक और आदमी मौजूद था । जल्दी ही पता चला कि वह मेरी सीट पर बैठा है। मैने उसे कहा भाई साहब आप अपनी सीट पर नहीं हैं । यह मेरी सीट है । उसने मेरी ओर देखा और शायद क्षमाप्रार्थी होते हुए दूसरी सीट पर चला गया । गाड़ी चल पड़ी । तबतक मैने अपना सामान भी सेट कर लिया था। मेरे मन में एक अजीब प्रकार की प्रसन्नता थी । मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं नौकरी लेकर आ रहा हूं।
महत्वाकांक्षा टी शाशिरंजन (1) साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के जिस केबिन में मैं चढा, उसमें पहले से एक और आदमी मौजूद था । जल्दी ही ...Read Moreचला कि वह मेरी सीट पर बैठा है। मैने उसे कहा भाई साहब आप अपनी सीट पर नहीं हैं । यह मेरी सीट है । उसने मेरी ओर देखा और शायद क्षमाप्रार्थी होते हुए दूसरी सीट पर चला गया । गाड़ी चल पड़ी । तबतक मैने अपना सामान भी सेट कर लिया था। मेरे मन में एक अजीब प्रकार की
महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (2) इस बीच हमारी मुलाकात रोज होने लगी । हम दोनों के मुलाकात के लिए इंडिया गेट सबसे अच्छा स्थान बन गया था । कभी कभी वहां कार्यालय के कुछ अन्य लोग भी हमारे साथ आ ...Read Moreथे । लेकिन दो पेड़ों के बीच स्थित पत्थर हमारा स्थान था; जहां मैं और प्रियंका कार्यालय के बाद अक्सर साथ साथ बैठते थे और यह बैठक उसी की पहल पर होती थी । हम एक दूसरे के बड़े अच्छे दोस्त बन गए थे । दोस्ती के अलावा हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं दिखता था चाहे दोनों तरफ दिल में
महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (3) मैने कहा जरूरी नहीं कि हर वो आदमी जो तुम्हारे कहने के अनुसार काम करता है वह तुम्हें प्यार भी करता हो । पति पत्नी के बीच प्यार के लिए पैसे की नहीं आपसी समझ ...Read Moreआवश्यकता है । मैने फिर पूछा तुम्हें इस्तीफा कब देना है । उसने कहा आज मैने भेज दिया है । मैने आश्चर्य प्रकट करते हुए पूछा - क्या ? उसने कहा –हां, बॉस को फैक्स कर दिया है । कल शाम को जाना है । पूरा दिन तैयारी में लगी रहूंगी इसलिए तुमसे मुलाकात नहीं होगी यही सोच कर अभी
महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (4) तभी प्रियंका ने अचानक अपने चेहरे का भाव बदलते हुए कहा - जिंदगी के मजे ऐसे नहीं होते हैं पंकज बाबू । इसके लिए पैसों की आवश्यकता होती है और आपकी जितनी सैलरी है उतने ...Read Moreमैं केवल अपने कपड़ों पर ही खर्च कर देती हूं । उसकी बात सुन