सत्या - 32

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सत्या 32 पूरी बस्ती में रंग-बिरंगे बल्ब के झालर लटक रहे थे. ख़ासी चहल-पहल थी. मीरा के घर के आगे शादी का मंडप सजा था. सविता औरतों और लड़कियों के साथ दूल्हे को घेरे खड़ी थी. सविता, “दूल्हे राजा, हमारी बस्ती की परंपरा है कि शादी के फेरे हम तबतक नहीं लेने देंगे जबतक आप ये कसम न खा लें कि ज़िंदगी में कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाएँगे. चलिए कसम खाईये.” दूल्हा खुशी को देखकर मुस्कुराया. फिर बोला, “अगर मैं शराब पीने वाला ही होता तो आपकी बेटी कभी मुझे घास भी डालती?” सविता ने ज़िद की, “वो