हे भगवान

  • 11.3k
  • 1.5k

हे भगवान अन्नदा पाटनी नई दिल्ली स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पर गाड़ी खड़ी थी । खिड़की की तरफ़ एक बीस-बाईस साल का नौजवान बैठा था। खिड़की के बाहर से उस लड़के की माँ उदास खड़ी थी और रुक रुक कर हिदायतें दिए जा रही थी। गाड़ी चलने लगे तो उतरना मत । खिड़की से सिर बाहर मत निकालना । फल रखे हैं खा लेना, अपना सामान छोड़ कर इधर-उधर मत चल देना । जैसे जैसे माँ के उपदेश चल रहे थे, उस नौजवान के चेहरे पर खीज बढ़ती जा रही थी । हाँ हाँ, अच्छा बाबा अच्छा, ठीक है ठीक है