जी-मेल एक्सप्रेस - 24

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जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 24. तहकीकात कुछ ही देर में गाड़ी झटके से रुकी और एक-एक कर हम तीनों गाड़ी से नीचे उतर गए। यह कोई सरकारी कॉलोनी थी। सीढ़ियां चढ़कर हम पहली मंजिल पर पहुंचे। उस पहलवान ने खास ऋद्म में दस्तक दी और दरवाजा खुल गया। भीतर घुसने पर मैंने खुद को किसी दफ्तर जैसी जगह में पाया। मुझे एक कुरसी की तरफ बैठने का इशारा कर वह व्यक्ति भीतर चला गया, धमेजा ने मुझे जिसका सहयोग करने को भेजा था। पहलवान अभी भी वहीं डटा था। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि मुझसे इन्हें क्या