Zee-Mail Express book and story is written by Alka Sinha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Zee-Mail Express is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जी-मेल एक्सप्रेस - Novels
by Alka Sinha
in
Hindi Fiction Stories
तेज रफ्तार गाड़ी को झटके के साथ रोक दिया, बत्ती लाल हो गई थी और हरी होने में अभी चौरासी सेकंड की अवधि दिखाई जा रही थी। एक लंबी सांस भरकर बाहर को छोड़ी। गाड़ी भले ही थम गई थी मगर मन उसी रफ्तार से बीते दिनों का छोर पकड़ने दौड़ा जा रहा था, जैसे बचपन में पतंग लूटने दौड़ा करते थे, गड्ढा, खाई कुछ नहीं दिखता था, निगाहें बस पतंग पर होतीं और दौड़ते जाते। आज ठीक वैसा ही अहसास हो रहा है। ट्रैफिक, सिगनल कुछ नहीं दिख रहा, बस दौड़ता जा रहा हूं, जैसे डायरी नही, पतंग लूटकर आ रहा हूं।
…तीस साल मुझे नौकरी करते हो रहे हैं, कॉलेज छोड़े तीन साल और ... मैंने मन ही मन हिसाब लगाया, दो साल नौकरी पाने की कोशिश में भी लगे थे। यानी स्कूल छोड़े करीब पैंतीस साल।
जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 1 - पर्सनल डायरी तेज रफ्तार गाड़ी को झटके के साथ रोक दिया, बत्ती लाल हो गई थी और हरी होने में अभी चौरासी सेकंड की अवधि दिखाई जा रही थी। एक लंबी सांस भरकर ...Read Moreको छोड़ी। गाड़ी भले ही थम गई थी मगर मन उसी रफ्तार से बीते दिनों का छोर पकड़ने दौड़ा जा रहा था, जैसे बचपन में पतंग लूटने दौड़ा करते थे, गड्ढा, खाई कुछ नहीं दिखता था, निगाहें बस पतंग पर होतीं और दौड़ते जाते। आज ठीक वैसा ही अहसास हो रहा है। ट्रैफिक, सिगनल कुछ नहीं दिख रहा, बस दौड़ता
जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 2 - बीते लम्हों की यादें अन्यमनस्क-सा दिन बीता और रात सुबह के इंतजार में गुजर गई। नींद के झोंके भी स्कूल के दिनों में लिए जाते रहे। देखता रहा, बड़ा-सा वह चबूतरा, जहां प्रार्थना ...Read Moreकरती थी। नूपुर प्रार्थना कराने वाली टीम के साथ मंच पर खड़ी होती। उसकी यूनिफॉर्म हमेशा साफ और तरीके से प्रेस की हुई होती। स्कर्ट की बाईं ओर एक साफ सफेद रूमाल टंगा रहता। वह कभी उस रूमाल का इस्तेमाल करती हो, ऐसा मालूम नहीं पड़ता। वह वैसे ही स्कर्ट के साथ लगा रहता जैसे उसे साथ में सिल दिया
जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 3 - क्यू से ‘क्वीन’ हमारे समय में लड़के-लड़कियां एक साथ नृत्य नहीं करते थे। मुझे याद है, मछेरा नृत्य में मछुआरा और मछुआरिन, दोनों के रूप में लड़कियों ने ही नृत्य किया था। बस ...Read Moreअलग-अलग पहनी थी। मगर अब समय बदल गया है। अब तो लड़कों का डांस खासा चुनौती भरा होता है। मैं कल्पना कर रहा हूं कि वह आर नाम का लड़का अपने खास तरह के डांसिंग अंदाज से क्यू नाम की लड़की को आकर्षित कर रहा है। मेरे भीतर एक तरह की रूहानी दुनिया आकार लेती जा रही है और मैं
जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 4 - ‘जॉय-स्पॉट’ अचानक मेरा मोबाइल बज उठा। मेरा मोबाइल कम ही बजता है, मैंने लपककर फोन उठाया। कोई अपरिचित नंबर था। “हलो, मेरा नाम रिया है, क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?” कोई नशीली-सी आवाज़ ...Read Moreमैं हैरान रह गया, “अरे, मेरा नंबर किसने दिया आपको?” “मुझे पार्टी में जाना, घूमना बहुत पसंद है... क्या आप मुझे अपने साथ पार्टी में ले चलोगे?” मेरे प्रश्न को अनसुना कर उसने अपनी बात जारी रखी। एक पल को तो मैं अकबका गया, फिर समझ आया कि यह तो रिकार्डेड मैसेज है। लेकिन तब भी, यह कितनी हैरानी की
जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 5. फैन्टेसी की दुनिया उस रोज मासबंक किया गया था। मस्ती या मसखरी के लिए नहीं बल्कि घर पर पढ़ाई करने के लिए, जबकि प्रिंसिपल ने किसी विशेषज्ञ को ‘इग्जैम टिप्स’ देने के लिए आमंत्रित ...Read Moreहुआ था। क्लास खाली पाकर प्रिंसिपल को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा। प्रिंसिपल ने इन छात्रों के पेरेंट्स को बुलवाने का फरमान सुनाया। इस फैसले से छात्रों को बड़ी परेशानी हुई। परेशानी इसलिए कि स्कूल आने पर पेरेंट्स को न मालूम क्या-क्या और जानकारियां दी जातीं जो उनके लिए और कई तरह की मुसीबतें खड़ी कर सकती थीं। फिर सवाल यह