एबॉन्डेण्ड - 2

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एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 युवती थोड़ा जल्दी में है क्योंकि गोधुलि बेला बस खत्म ही होने वाली है। मगर युवक जल्दी में नहीं है। वह इत्मीनान से कह रहा है। ‘सुनो, यहां जो स्टेशन है, रेलवे स्टेशन।’ ‘हां, हां, बोलो तो, आगे बोलो, तुम्हारी बड़ी खराब आदत है एक ही बात को बार-बार दोहराने की।’ ‘अच्छा! तुम भी तो बेवजह बीच में कूद पड़ती हो। ये भी नहीं सोचती, देखती कि बात पूरी हुई कि नहीं।’ ‘अच्छा अब नहीं कूदूंगी। चलो, अब तो बताओ ना।’ ‘देखो स्टेशन से आगे जाकर एक केबिन बना हुआ है। वहां बगल में