एबॉन्डेण्ड - 3

  • 4.6k
  • 2
  • 1.6k

एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 ‘अजीब पगली लड़की है। घर में सामान रखना शुरू करोगी। उसे लेकर निकलोगी तो जिसे शक ना होना होगा वह भी जान जाएगा और तुरन्त पकड़ ली जाओगी।’ ‘अरे कुछ कपड़े तो लूंगी। बाहर निकलूंगी तो क्या पहनूंगी, क्या करूंगी?’ ‘तुम उसकी चिंता ना करो। हम कई साल ज़्यादा से ज़्यादा पैसा इकट्ठा करते आएं हैं। हमने काम भर का कर भी लिया है जिससे कि यहां से कोई सामान लेकर ना चलना पड़े। जो कपड़ा पहनें बस वही और कुछ नहीं। ताकि सामान के चक्कर में धरे ना जाएं। जब जरूरत होगी तब