अहल्या - नरेन्द्र कोहली

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अगर आप मिथकीय गाथाओं और उनके चरित्रों में गहन रुचि रखते हैं तो इस तरह की कहानियों से आपका लगाव स्वाभविक है। ये सही है कि इस तरह की कथाएँ हमें रोमांचित करती हैं मगर कई बार उनमें घट रही घटनाओं को जब हम अपने तर्क की कसौटी पर कस कर देखते हैं तो इस मंथन से निकले प्रतिफल को जान खुद को कहीं ना कहीं छला हुआ पाते हैं। तब हमारे मन में कहीं ना कहीं दुविधा अथवा शंका उत्पन्न होती है कि उन्हें सच कैसे और किस आधार पर माना जाए? ऐसे ही दुविधा रामायण काल के अहल्या प्रसंग