मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन - 2

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मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन कहानी 2 लेखक: राजीव रंजन (अपने अपने लॉकडाउन) राजीव रंजन ‘सिर मुड़ाते ही ओले पड़े’, ये कहावत जिसने भी बनाई होगी, वह भी कभी जरूर शशांक की तरह ऐसी ही किसी स्थिति में फंस गया होगा। कहावतें जीवन के अनुभवों का ही तो निचोड़ हैं। शशांक बस दो दिन पहले ही नोएडा सेक्टर 71 की इस पॉश सोसाइटी में आया था। घर का सामान पूरी तरह सेट भी नहीं हो पाया था कि ये आफत गले पड़ गई। सामान के कई कार्टन तो अभी भी बंधे ही पड़े हैं। फ्लैट का पजेशन उसे कुछ हफ्ते पहले ही मिल गया