सांकल - 3 - अंतिम भाग

  • 5.9k
  • 1
  • 2.2k

सांकल ज़किया ज़ुबैरी (3) “माँ, मैं उसको दो फ़्लैट्स, आपके दिए तमाम जेवर और पांच हज़ार पाउण्ड कैश भी दे रहा हूँ। ज़ेवर देने में आपको समस्या तो नहीं होगी क्योंकी आप औरतों को जेवर से बहुत प्यार होता है'?” कितना कड़वा बोलता है, ये मेरा बेटा तो लगता ही नहीं, जैसे बाप कहीं और से ले आया हो...! 'मेरा तो जी चाह रहा है मैं उसको अपने ज़ेवर ही नहीं बल्कि अपने हिस्से की जो कुछ भी खुशियां रह गयी हैं वो भी दे दूं। ''क्यों ऐसा जी क्यों चाह रहा है। मुझ से रक्तसंबंध है या उससे?'' खून का रिश्ता क्या होता है। उसका क्या महत्व होता है, उसकी क्या अहमियत होती है और दिलों के रिश्ते की क्या, ये बातें तुम नहीं समझोगे। समीर दफ्तर ही में