छोछक

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‘बधाई हो, लाला हुआ है’ अस्पताल के रिसेप्शन के सामने सरोज की सास प्रेमावती अपनी समधिन मनोहरी देवी से गले मिलते हुए कहती हैं । ‘आपको भी बधाई बहन जी... कौन-से रूम है लाला’ ? ‘रूम नं. 205’ । अस्पताल में अंदर बढ़ते हुए प्रेमावती को याद आया कि समधी कहीं पीछे ही छूट गये हैं, ‘कहाँ रह गयें भाई साहब’ ? पीछे मुड़ कर देखा तो तीन-चार झोलों के बोझ से लदे-फदे धीरे-धीरे कदम बढ़ाते समधी हरिराम हॉस्पीटल से अंदर की ओर प्रवेश कर रहे थे । बोझ का दबाव महसूस करते ही झट से प्रेमावती ने तुरन्त अपने