धनिया - 5 - अंतिम भाग

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धनिया गोवर्धन यादव 5 पहाड़ की चोटी से उतरती देनवा अपनी अधिकतम गति से शोर मचाती हुई आती है और फिर एक बड़ी-सी पहाड़ी पर से झरना का आकार लेते हुए गहराईयों में छलांग लगा जाती है। तेजी से नीचे गिरती हुई जलराशि, एक अट्टहास पैदा करते हुए झाग उगलने लगती है। साथ ही चारों ओर धुआं-सा भी उठ खड़ा होता है। नदी में बनते भंवरों ने पहाड़ में जगह-जगह सुराख-से भी बना डाले थे। यह प्रक्रिया एक दो दिन की नहीं बल्कि बरसों से सतत चल रही प्रक्रिया का नतीजा था। आदमी एक सुराख में पूरा समा जाए इतनी