मारिया

  • 3.5k
  • 1
  • 951

मारिया ज़किया ज़ुबैरी सभी एक दूसरे से आँखें चुरा रहे थे। अजब-सा माहौल था। हर इंसान पत्र-पत्रिकाओं को इतना ऊँचा उठाए पढ़ रहा था कि एक दूसरे का चेहरा तक दिखाई नहीं दे रहा था। सिर्फ़ कपड़ों से अंदाज़ा होता था कि कौन एशियन है और कौन ब्रिटिश, वर्ना चेहरे तो सभी के ढँके हुए थे। और जो मुजरिम थे वो शांत और बेफ़िक्र बैठे थे, जैसे उन्होंने कोई जुर्म किया ही न हो। मुजरिम पैदा करने वाली तो बस माँएँ थीं। कुछ सिरफिरे तो यहाँ तक कह देते थे कि भगवान का भी तो यह जुर्म ही है जिसने