हरामी

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हरामीसर्दी के मौसम में बस यात्रा में बदन सिकोड़े चुपचाप लघुशंका दबाए बैठा था । ड्राइवर ने ठेके पर दारू के लिए बस रोकी और मैं जल्दी से शंका निवारण हेतू उतर गया। अभी शंका निवारण हुआ भी न था कि मेरे ऊपर वज्रपात हुआ, ड्राइवर ने बस आगे बढ़ा दी। जेब टटोली तो स्मार्ट कहलाने वाला फोन था लेकिन बैटरी न होने के कारण बंद था । मुझे खुद पर गुस्सा आया बस में चार्जिंग प्वाइंट तो था लेकिन मैंने चार्जर सहकर्मी को दे दिया था । उसे वीडियो देखना था और उसकी बैटरी डाउन थी । मुझे लगा अभी