सेज गगन में चांद की - 3

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सेज गगन में चाँद की [ 3 ] माँ भी अजीब है। हर समय यही सोचती रहती है कि धरा कोई बच्ची है। अरे, अकेली तो गयी नहीं थी, साथ में छः हाथ का ये लड़का था। और कोई बिना पूछे नहीं गयी थी। यदि ऐसा ही था तो माँ पहले ही मना कर सकती थी। न जाती वह। भला उसे कौनसा घर काटने को दौड़ रहा था कि भरी दोपहरी में भटकने को घर से निकलती। नीलाम्बर ने ही कहा था कि वह साथ चलेगी तो काम ज़रा जल्दी हो जायेगा। क्योंकि उस बेचारे का बहुत सा समय तो पूछने-ढूँढ़ने में ही निकल