नई चेतना - 16

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उधर लालाजी के पीछे चलते हुए बाबू बस्ती से काफी दूर आ गया था । खेतों के बीच ही बने एक छोटे से ट्यूबवेल के सामने बने पक्के चबूतरे पर लालाजी बैठ गए ।लालाजी कुछ थके हुए लग रहे थे । बाबू भी उनके सामने ही खेत की मेंड़ पर बैठ गया । लालाजी ने उसको सामने बैठे देख उसे नजदीक ही अपने साथ बैठने का हुक्म दिया ।बाबू की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह लालाजी के बराबर में बैठे । ” नहीं नहीं मालिक ! मुझसे पाप मत करवाइए । मैं आपके बराबर बैठने का सोच भी