Nai Chetna book and story is written by राज कुमार कांदु in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nai Chetna is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नई चेतना - Novels
by राज कुमार कांदु
in
Hindi Fiction Stories
नई चेतना ----लाला धनीराम की गिनती रामपुर के धनाढ्य लोगों में होती थी । अनाज के थोक व्यापार के अलावा उनकी धान कूटने की मशीन थी । मसाला कूट कर उसकी पैकिंग करके आसपास के शहरों में वितरित करने का काम भी चलता था । गाँव के ही कुछ लोग लाला धनीराम के यहाँ मजदूरी करते थे । बाबू हरिजन की बेटी धनिया भी लाला के मसाला फैक्ट्री में काम करने आती थी ।धनिया गौरवर्णीय बहुत ही खुबसूरत लड़की थी । वह जितनी खुबसूरत थी अपने काम में उतनी ही चुस्त और फुर्तीली भी थी । मसाला फैक्ट्री का
नई चेतना भाग -1 ---------------------------------------------लाला धनीराम की गिनती रामपुर के धनाढ्य लोगों में होती थी । अनाज के थोक व्यापार के अलावा उनकी धान कूटने की मशीन थी । मसाला कूट कर उसकी पैकिंग करके आसपास के ...Read Moreमें वितरित करने का काम भी चलता था । गाँव के ही कुछ लोग लाला धनीराम के यहाँ मजदूरी करते थे । बाबू हरिजन की बेटी धनिया भी लाला के मसाला फैक्ट्री में काम करने आती थी ।धनिया गौरवर्णीय बहुत ही खुबसूरत लड़की थी । वह जितनी खुबसूरत थी अपने काम में उतनी ही चुस्त और फुर्तीली भी थी । मसाला फैक्ट्री का
धीरे धीरे चलते हुए अमर फैक्ट्री पहुँच गया । सभी मजदूर अपना अपना काम शुरू कर चुके थे । धनिया भी अपने काम में मशगुल हो चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो । ...Read Moreदेर तक अमर ऑफिस की खिड़की से एकटक धनिया की ओर ही देखता रहा और अंदाजा लगाता रहा कि धनिया ने वाकई अपनी मर्जी से ही सहमति दर्शायी थी या फिर उसने उसके रुतबे से सहम कर समझौता कर लिया था। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था क्योंकि धनिया ने इस आधे घंटे के दौरान एक बार भी उसकी
” हाँ माँ ! वही धनिया ! अपने कारखाने में ही काम करती है । बहुत अच्छी और मेहनती लड़की है माँ । आपको बहुत खुश रखेगी । आपकी सेवा करेगी । ” अमर एक ही सांस में कई ...Read Moreबता गया ।” बेटा ! ये तूने क्या किया ? पसंद किया भी तो किसे ? वो जो गाँव में रहने के लायक भी नहीं ? ऐसे लोगों से रिश्तेदारी तेरे बाबूजी कभी पसंद नहीं करेंगे । माना कि धनिया बहुत अच्छी लड़की है , खुबसूरत है, मेहनती है लेकिन आखिर बिरादरी और समाज भी तो कुछ होता है ।
शेठ इमरतिलाल लाला धनीराम से मिलने आये थे । दोपहर का वक्त था । लाला धनीराम शायद किसी काम से बाहर गए हुए थे । अमर भी अपनी फैक्ट्री में ही था। हॉल में सोफे पर बैठे शेठ इमरतिलाल ...Read Moreलगी स्क्रीन पर समाचार देख रहे थे । सुशीलादेवी ने उनकी आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। शेठ इमरतिलाल धनीराम के पूर्व परिचित नहीं थे लेकिन पड़ोस के ही शहर में उनके कई बड़े बड़े शोरूम थे और एक पेपर मिल भी था । इसके अलावा वो समाजसेवा से भी जुड़े हुए थे सो समाज में भी काफी मान
अगले दिन सुबह अमर की नींद बड़ी देर से खुली। धुप ऊपर चढ़ आई थी । दीवार पर लगी घडी सुबह के नौ बजा रही थी । अमर अनमने ढंग से उठा । उसके चेहरे पर कोई स्फूर्ति कोई ...Read Moreनजर नहीं आ रही थी। बड़े सुस्त कदमों से चलता हुआ अमर बाथरूम में घुस गया । नित्यकर्म से फारिग हो नहाधोकर तैयार होते होते दस बज गए ।अभी वह तैयार होकर घर से निकलता कि सुशीलादेवी उसके कमरे में आती हुयी बोलीं ” चल बेटा ! कुछ नाश्ता कर ले।” अमर माँ से नजरें चुराते हुए बोला ” नहीं