कोपभवन

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“चार दिन से घर में चूल्हा नाहीं जला, बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं । उ तो रामनयना क माई खाना दे जात है त बच्चे आपन परान जियावत हैं । जी कुफूत में पड़ा है कवन पकाये और कवन खाये... जैसे घर में मरन पड़ गया हो” – हरिया उर्फ हरिन्द्र की माई अंचरा के कोना से अपना आँसू पोछते हुए अपने भाई रामलखन से दुखड़ा सुनाने लगी । रामलखन हरिया का हमउम्र है, दोनों में खूब पटती है । जो वह कह देता है हरिया वही करता है, लेकिन बड़ी बहन का दुख भी देखा नहीं जाता ।