किसी ने नहीं सुना - 15

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किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 15 मैं बिना कुछ बोले आज्ञाकारी फौजी की तरह डाइनिंग टेबिल के गिर्द पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। नीला भी नाश्ता रखकर सामने बैठ गई। मेरे साथ ऐसे नाश्ता कर रही थी मानो सारी समस्या उसने हलकर ली है। मैं बडे़ असमंजस में था उसके इस बदले रूप से। नाश्ता ख़त्म होते ही उसने कहा, ‘कपडे़ चेंज करके आप आराम करिए मैं थोड़ी देर में खाना लगाती हूं।’ मेरी किसी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा किए बिना जाने लगी तो मैंने हौले से बच्चों के बारे में पूछा। नाश्ता करने के बाद मैं कुछ राहत