भदूकड़ा - 41

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सुमित्रा जी, कुन्ती, सुमित्रा जी की बेटियां रूपा-दीपा और जानकी पीछे वाली अटारी में नीचे गद्दे बिछा के लेटीं, एक लाइन से. कुन्ती तो जल्दी ही सो गयी, लेकिन अब कूलर की आदी हो चुकीं सुमित्रा जी और रूपा-दीपा सितम्बर की उमस वाली गरमी में बिना पंखे के सो ही नहीं पा रहे थे. इन तीनों ने जानकी सहित, अटारी के बाहर वाली छोटी छत पर लेटने का मन बनाया.इन तीनों ने जानकी सहित, अटारी के बाहर वाली छोटी छत पर लेटने का मन बनाया. फटाफट बाहर गद्दे लाये गये. यहां कुछ हवा भी थी और कमरे के अन्दर वाली