सदगति - 3 (अंतिम किश्त)

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"दुख औरत मर्द के बीच भेदभाव नही करता।दुखो से घबराकर भागना कायरता है।,"वह बोला,"हिम्मत से काम लो सब ठीक हो जायेगा।""उपदेश देना बहुत आसान है।।,"वह रोने लगी।वह उसे समझाने लगा।जब उसका रोना थम गया,तब उसने पूछा था,"तुम्हे क्या दुख है?तुम आत्महत्या क्यो करना चाहती हो?"कई बार पूछने पर गीतिका ने अपनी आप बीती सुरेश को सुना दी।उसकी व्यथा सुनकर वह उसे अपने साथ लखनऊ ले गया।सुरेश लेखक था।गीतिका उसके साथ रहने लगी।सुरेश ने गीतिका की आपबीती को आधार बनाकर एक उपन्यास की रचना की।ये उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि सुरेश की गिनती देश के नामी लेखकों में होने लगी।गीतिका,सुरेश की