रुद्र: कोरोना रक्षक

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"त्राहिमाम, प्रभु, त्राहिमाम" कैलाश की सुरम्य वादियों में एक वेदना भरा नारी स्वर गूँजा। "अरे ये तो देवी पृथ्वी की आवाज़ है। वो इस प्रकार व्याकुल होकर महादेव को क्यों पुकार रही हैं?" आवाज़ की दिशा में देखते हुए नंदी महाराज ने वहाँ उपस्थित एक अन्य गण से कहा। "लीजिये देवी पृथ्वी से ही पूछ लीजिये। वो यहाँ पहुँच चुकी हैं।" गण ने जवाब दिया। "प्रणाम माते। आप इस प्रकार व्याकुल क्यों हैं? आपके माथे पर ये चिंता की लकीरें कैसी?" नंदी महाराज ने देवी पृथ्वी को प्रणाम करते हुए पूछा। आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठाकर देवी पृथ्वी बोली