नई चेतना - 21

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बाबा के अधरों पर एक अनोखी मुस्कुराहट तैर गयी । रहस्यमय मुस्कान के साथ धीरे से बोला ” अभी मेरे पास इतना समय नहीं है । और भी इतने लोग जो मेरे भक्त यहाँ बैठे हैं , इनके बारे में भी सोचना है । तुम चाहो तो बाहर मेरा इंतजार कर सकती हो । बैठक के बाद मैं तुमसे मिलूँगा और तुम्हारी समस्या का उपाय भी बताऊँगा । ”” जैसी आपकी मर्जी बाबा ! ” कहकर सुशीलादेवी ने बाबा के पैरों को हाथ लगा आशीर्वाद लिया और बाहर चलने को हुयी कि तभी कमली ने सुशिलाजी से कहा ” एक