समीक्षा

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उपन्यास लिखना किसी भी प्रकार सरल हैं ,न सहज , मात्र कुछ पृष्ठों में किसी कहानी को बुनना , शब्दों में पिरोना , उसको आदि से अंत तक पाठक को बांधे रखना , लेखक की लेखन मंजा पर निर्भर करता है | कथाकार कब श्रेष्ठ और कब औसत दर्जे का साबित होगा कुछ कहा नही जा सकता क्योकिं पाठक कि अपनी रूचि , अपनी पसंद किस ओर हैं यह भी तो निश्चित नही है ! अतः सफल तथा लोकप्रिय लेखक कौन हैं , इसका निर्णय कौन करे ? निश्चय ही पाठक लेखक का जज होता है उसकी कसौटी करता