चुन्नी - अध्याय चार

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चारबहुत बड़ी ईमारत थी जिसपे मोटे अक्षरों मे लिखा था केंद्रीय प्रोधीगिकी संस्थान वाराणसी,चुन्नी उसके मुख्य द्वार पर खड़ा था,जहाँ चार दरबान खड़े थे,उनमें जो एक अधेड़ उम्र का था वो कागजी काम करवा रहा था,कौन हो कहाँ से आये आने का उदेश्य क्या है वगैरह वगैरह।चुन्नी भी वहाँ पहुँचा और अपना नाम बताया।दरबान ने ऊपर से नीचे तक देखा। "नया दाखिला हो। " उसने बोला"जी आज ही आया हु। " चुन्नी बोला। "अंदर ही रहोगे या बाहर कही देखा है जगह रहने का। " उसने पूछा। "जी बाहर ही।हॉस्टल ज्यादा महंगा है मेरे ख़र्चे के बाहर है।" चुन्नी बोला। "ठीक है।दाखिले का कार्य