1 संरक्षक का संदेश

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महर्षि अष्टावक्र प्रदत्त ब्रह्म—विद्या को हमारी परम्परा के सद्‌गुरुओं ने इस आधुनिक युग में आनन्द—योग के रूप में व्यक्तिगत, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में आध्यात्मिक मूल्यों के सामन्जस्य एवं समुचित समावेश के साथ—साथ गृहस्थ धर्मानुकूल साधना पद्धति का विकास किया है। वास्तव में आनन्द योग का मार्ग ‘इतिमार्ग' (Method of addition) है, जिसमें अपनी दैनिक दिनचर्या में राम—नाम अर्थात्‌ अपने इष्टदेव का नाम जोड़ना होता है अर्थात्‌ ‘दस्त ब कार, दिल ब यार'।