दह--शत - 11

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दह--शत [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड --11 “हाँ, बाई अपने आउटहाउस में दशामाँ की पूजा करती है । चलिए उस खिड़की से देखें ।” शुभ्रा और वे उठकर खिड़की तक आ गये । कोकिला औरतों के समूह के बीच खुले बालों से काँप रही है । उसकी आँखें चढ़ी हुई हैं । सिर घुमा-घुमाकर बीच मे चीखती, “बोलो दशामाँ नी जयऽ ऽ ऽ......” शुभ्रा की हँसी निकल जाती है, “इस धन व शक्ति के समाज में कौन शुभ्रा पर ध्यान दे और कौन आपकी कोकिला पर ध्यान देता है ।” “मतलब?” “मतलब ये कि हम औरतें किसी देवी की आड़