केसरिया बालम - 11

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केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 11 अपने नीड़ में सब कुछ समेट कर घर लौटना ऐसा था जैसे एक युग का अंत करके ये वापसी हुई हो। बेटी की भूमिका पूरी हुई अब पत्नी और माँ के रूप में ही आने वाला कल होगा। बेटी का रूप माँसा-बाबासा के रहने तक ही था। अब वह बीता कल था, बीता कल जो बीत चुका था। आर्या के साथ लौटते हुए मन शांत था। बच्ची ने इतने दिनों में बिल्कुल तकलीफ नहीं दी थी, नये माहौल में घुल-मिल गयी थी। उसके पानी का, दूध का बहुत ध्यान रखा था धानी ने। माँसा