Kesaria Balam book and story is written by Hansa Deep in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kesaria Balam is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
केसरिया बालम - Novels
by Hansa Deep
in
Hindi Moral Stories
केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 1 “केसरिया बालम पधारो म्हारे देस” बचपन से ही गाते हुए, अंदर ही अंदर, गहरे तक यह गीत रच-बस गया था। इसके तार दिल से जुड़े थे, मीठा लगता था, कानों में शहद घोलता हुआ। उस मिठास से सराबोर मन हिलोरें लेता रहता, सावन के झूलों जैसी ऊँची-ऊँची पेंग लेकर। इस छोर से इस छोर तक। माँसा कहती थीं – “किसी की नज़र न लगे तुम दोनों की जोड़ी पर।” बाबासा मुस्कुराते, अपनी बेटी-कँवरसा पर निगाह डालते, संतोष की साँस लेकर कहते – “थारी माँसा ने बता दे कि धानी तो अमेरिका जा रही है,
केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 1 “केसरिया बालम पधारो म्हारे देस” बचपन से ही गाते हुए, अंदर ही अंदर, गहरे तक यह गीत रच-बस गया था। इसके तार दिल से जुड़े थे, मीठा लगता था, कानों में शहद घोलता ...Read Moreउस मिठास से सराबोर मन हिलोरें लेता रहता, सावन के झूलों जैसी ऊँची-ऊँची पेंग लेकर। इस छोर से इस छोर तक। माँसा कहती थीं – “किसी की नज़र न लगे तुम दोनों की जोड़ी पर।” बाबासा मुस्कुराते, अपनी बेटी-कँवरसा पर निगाह डालते, संतोष की साँस लेकर कहते – “थारी माँसा ने बता दे कि धानी तो अमेरिका जा रही है,
केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 2 बरगद की छाँव तले जिस दिन वह आने वाला था, सब दौड़ रहे थे इधर से उधर, घर वाले भी, घर के नौकर भी। योजनाबद्ध था सब कुछ, पहले पानी, फिर चाय-नाश्ता, उसके ...Read Moreपाँच पकवान भोजन में। उसके आने की तैयारी में घर की सफाई हो रही थी। “घर के चप्पे-चप्पे को साबुन के पानी से धो दो।” “चकाचक कर दो।” घर में काम करने वाले तो खूब सफाई कर ही रहे थे, बाहर से भी लोगों को मदद के लिये बुलवाया गया था। आने वाले का नाम बाली था, बालेंदु प्रसाद। पास
केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 3 पंखों को छूती हवाएँ एक-एक करके मायका तो छूटना ही था, बचपन का साथ भी छूटना था, आखिर कब तक यह साथ रहता भला! इस नये क्रम की शुरुआत हुई सलोनी से। सलोनी ...Read Moreसाँवली थी पर उसका बाँका गोरा था। काली मूँछें और तीखी नाक, माथे पर घुंघराले बाल। जब पहली बार आया था तो हीरो ही लग रहा था। उस समय तो वे दोनों भी उसके साथ अपने सपनों में डूबने लगी थीं जब सलोनी ने कजरी और धानी से कहा था – “जिसे मैंने देखा नहीं, जिससे कल्पना लोक में ही
केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 4 इन्द्रधनुषी रंग सगाई के बाद से शादी तक के वे दिन इतने चुलबुले, इतने बेताब करने वाले थे कि लगता युगों-युगों से जानती है वह बाली को। जाने कितना इंतज़ार और करना होगा। ...Read Moreतो समय काटे नहीं कटता, कभी ख्यालों में यूँ खोयी रहती कि कब दिन ढला, कब रात हुई, पता ही न चलता। धानी को लगता, मन तो वैसा ही है, आकाश में बहता हुआ। उसकी देह से निकल गया है शायद। शायद बाली का मन भी ऐसे ही निकल कर आ गया हो उसके पास। एक बात निश्चित लगी उसे,
केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 5 पुनरारोपण अमेरिका, न्यूजर्सी के एडीसन शहर ने दिल खोलकर स्वागत किया उसका। इमीग्रेशन काउंटर से लेकर घर के दरवाजे तक। लैंड होने के बाद अमेरिका में कदम रखने से पहले एक कड़ी परीक्षा ...Read Moreपहले तो वह सकपका गयी थी क्योंकि ऑफिसर ने सवाल ही कुछ ऐसे पूछे और शंकास्पद नज़रों से देखते हुए अंदर आने को कहा। लेकिन बाली की बतायी बातें याद आ गयीं कि “यहाँ कई लोग नकली शादियाँ करके आ जाते हैं। कानूनी रूप से रहने के लिये, शादी का नाटक करके कागजात बनवाना उनका एक तरह से धंधा बन