Journey

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Journey बस सवेरा होने ही वाला था, सूरज धीरे धीरे ऊपर उठ रहा था, खिड़की के पर्दों के पीछे से हल्की रोशनी आ रही थी,रात करवटें बदलतीं रही, मुजे समज नहीं आ रहा था की में हँसूँ या रो लूँ,में हल्के से उठी और खिड़की के पर्दे हटाकर खिड़की खोल दी एक ठंडी लहेर मेरे पूरे बदन को छू गयी, सवेरा हो चुका था बाहर चहल पहल हो रही थी सब महेमान इधर उधर काम में लगे थे, मेरी नज़र मेरी गुलाबी रंग की स्कूटी पर पड़ी और एक हाय सी निकल गयी, थोड़ा गुम के मेने अपने कमरें पर एक