राम रचि राखा - 2 - 2

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राम रचि राखा गोपाल (2) “गोपाल अब पढ़ाई करने लगा है।“ ऐसा चन्दू लोगों से कहते थे। वास्तव में गोपाल को अभी भी शब्द ज्ञान नहीं हो पाया था। हाँ तीन-चार सप्ताह में इतना अवश्य हुआ था कि कक्षा में मास्टर जी ने पीट-पीट कर उसे "शेर और चूहे" वाली कविता जुबानी याद करा दी थी। एक दिन चन्दू उसकी किताब लेकर बैठे और उसे पढने के लिए बोले। वह वही पाठ खोलकर भर्राटे से पढ़ने लगा। चन्दू को लगा कि अब वह पढ़-लिख जाएगा। एक दिन जब चाचा अपने स्कूल से साढ़े चार बजे कमरे पर लौटे गोपाल नहीं था।