दो बाल्टी पानी - 24

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रात आधी बीत चुकी थी आंधी पानी भी अब धीमा हो चला था, चारों ओर झींगुर की आवाज सुनाई दे रही थी, पूरा गांव अब नींद के आगोश में खो चुका था और सड़क के उस पार वाला नल अपने आप चल रहा था और उसमें पानी की खूब मोटी धार बह रही थी, नल के ठीक सामने नीम के पेड़ के पास सुर्ख लाल साड़ी में कोई औरत हंस रही थी | जैसे तैसे सुबह हो गई और यह बात भी गांव में आग की तरह फैल गई कि पिंकी की चोटी भी चुड़ैल ने काट दी है, पूरे गांव