"तू तो बता रहा था कि शैलेश यहां मिलेगा?" भैयाजी ने अपनी भारी आवाज़ में पूछा जो वो बरसो पहले किसीको डराने, धमकाने या मारते वक़्त उपयोग किया करता था।"थोड़ा सा इंतेज़ार कर लीजिए भैयाजी, कुछ ही वक़्त में वो आता ही होंगा।" यह कहते हुवे फ़ारूक़ अपने मोबाइल से कोई नंबर डायल करने लगा। ऐसा लग रहा था मानो वो अपने किसी सोर्स से पता लगा रहा था की आखिरकार वहां शैलेश मज़मुदार क्यो नही था।"सुनो तुम्हे भैयाजी बुला रहे है।" फ़ोन पर बात करने की झूठी एक्टिंग करते हुए फ़ारूक़ उस बंध पड़े वेयरहाउस से बाहर निकला और